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Wednesday, February 4, 2015

सिंदूरी शाम



सिंदूरी शाम
धुंध मे छिपा चाँद ,
मधम संगीत
हौले हौले
चलती ये पुरवाई ,
ऐसे मौसम में
उफ्फ तेरी रुस्वाई,
पर मेरा प्यार
जो जोड़ देगा
दिल के हर तार ……

रेवा



19 comments:

  1. वाह ! बहुत सुन्दर !

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  2. वाह क्या खूब लिखा है ... बहुत ही सुंदर प्रस्तुती ... धन्यवाद..
    मेरे ब्लॉग पर आप सभी लोगो का हार्दिक स्वागत है.

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  3. थोड़े शब्दों में बहुत ही बड़ी कह देती आप रेवा दी ... बहुत अच्छी लगी यह नज़्म

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  4. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना

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  5. प्रेम के एहसास को छूते हुए शब्द ...

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  6. कल 12/फरवरी /2015 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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