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Thursday, October 24, 2013

तन्हा अकेली




नहीं रहना मुझे
तन्हा अकेली
बिना तेरी
मौजूदगी के ,
मानती हूँ
सिर्फ जिस्मानी मौजूदगी
मायने नहीं रखती
हम तो रूह से जुड़े हैं
पर फिर भी
नहीं रहना मुझे
तन्हा अकेली ,
सिर्फ तेरी यादों
के सहारे
सिर्फ तेरी बातों
के भरोसे ,
मानती हूँ
कुछ महीनों की
ही बात है ,
पर फिर भी
नहीं रहना मुझे
तन्हा अकेली ,
माना आंसुओं
को जगह नहीं देनी
आँखों मे
ये तेरी इल्तेज़ा थी
पर ये बरबस
तुझे याद करके
बहने लगे तो क्या करूँ ?
कैसे बहलाऊ ?
नहीं रहना मुझे
तन्हा अकेली /

"बिन तेरे सुना है संसार
  तू आजा ले के बहार "

रेवा


13 comments:

  1. प्यार का सुन्दर इजहार |
    नई पोस्ट मैं

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  2. BEHAD SUNDAR! Diwali mubarak ho!

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  3. “अजेय-असीम{Unlimited Potential}”
    सुन्दरतम प्रेमाभिव्यक्ति |

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 26/10/2013 को बच्चों को अपना हक़ छोड़ना सिखाना चाहिए..( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 035 )
    - पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....

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    Replies
    1. Upasna ji shukriya....net ki kharabi kay karan link visit karne mey asamarth hu....

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  6. Rajendra ji apka bahut bahut shukriya. ...mera net kam nahi kar raha isliye link visit nahi kar paa rahi

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  7. प्रेम है तो फिर तन्हाई क्यों रहे ...

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  8. हर नारी की एक सांचे में तराशी कहानी
    हार्दिक शुभकामनायें

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  9. दिल को छू लेनेवाली रचना..

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  10. बहुत सुन्दर रचना......................
    प्यारा लिखा रेवा....
    सस्नेह
    अनु

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