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Monday, May 19, 2014

कठिन डगर


दुःख परेशानी
वैसे तो सबको होती है
पर कभी कभी ये
इतना ज्यादा सर चढ़ कर
बोलती है की
लगता है दुनिया में
मुझसे ज्यादा दुखी
कोई नहीं ,
तब वो सारी
सकारात्मक सोच
रफ़ूचक्कर हो जाती है ,
वो सारी अच्छी बातें
जो हमने कभी पढ़ी थी
और सोचा था  की
मुश्किल घड़ी मे याद
रखेंगे इन्हे
अचानक दिमाग से
गायब हो जातें हैं ,
और हम रह जातें हैं अकेले
खुद से और परेशानियों से
लड़ने के लिए ,

"सफर है कठिन
डगर है कठिन
पर ऐ ज़िन्दगी
मैं भी हूँ कठोर

पार कर ही लुंगी
इन रास्तों को
चाहे तू कितना
भी लगा ले ज़ोर "


रेवा


10 comments:

  1. बहुत सुन्दर कोमल मन की अभिव्यक्ति

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (20-05-2014) को "जिम्मेदारी निभाना होगा" (चर्चा मंच-1618) पर भी होगी!
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  3. बेहतरीन रचना..
    इरादा पक्का हो तो मुश्किलें भी आसान बन जाती है..

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  4. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरेया, धन्यबाद।

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  5. यही सकारात्मक सोच तो जीने की ताकत है...
    सुन्दर रचना !!

    सस्नेह
    अनु

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  6. हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती ! बहुत सुंदर रचना !

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  7. वाह
    लाज़वाब जज़्बात

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